प्रथम देव गुरु देव जगत में, और ना दुजो देवा।
गुरू पूजे सब देवन पूजे, गुरू सेवा सब सेवा।।
गुरू ईष्ट गुरू मंत्र देवता, गुरू सकल उपचारा।
गुरू मंत्र गुरू तंत्र गुरू हैं, गुरू सकल संसारा।।
गुरू आवाहन ध्यान गुरू हैं, गुरू पंच विधि पुजा।
गुरू पद हव्य कव्य गुरू पावक, सकल वेद गुरू दुजा।।
गुरू होता गुरू याग महायशु, गुरू भागवत ईशा।
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु सदाशिव, इंद्र वरुण दिग्धीशा।।
बिनु गुरू जप तप दान व्यर्थ व्रत, तीरथ फ़ल नहिं दाता।
"लक्ष्मीपति" नहिं सिध्द गुरू बिनु, वृथा जीव जग जाता।।
- वेबसाइट : व्यवस्थापक के दो शब्द
- एक नज़र बनगाँव, और बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई
- गोस्वामी लक्ष्मीनाथ परमहंस की (संक्षिप्त जीवनी)
- योग साधना में स्वामी जी की - साधित सिध्दियाँ
- योग सिद्धि एवं विशिष्ट चमत्कार
- राह की मिटटी से खीर (विशिष्ट चमत्कार)
- कोल (सूअर) द्वारा क्रानित (विशिष्ट चमत्कार)
- मृत गौ का पुनर्जन्म (विशिष्ट चमत्कार)
- ठेंगहा घाट पैदल बाट बना (विशिष्ट चमत्कार)
- जगन्नाथ जी का पट बन्द (विशिष्ट चमत्कार)
- मल्लों की परीक्षा (विशिष्ट चमत्कार)
- एक ही समय में दो जगह (विशिष्ट चमत्कार)
- खाना - हराम (विशिष्ट चमत्कार)
- देहावसान के बाद स्वामीजी का महात्म्य
- परमहंस लक्ष्मीनाथ रचित ग्रन्थ
- आमुख - पंडित छेदी झा "द्विजवर"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें