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सोमवार, 26 मई 2014

Baba Laxminath Gosai - बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई

प्रथम देव गुरु देव जगत में, और ना दुजो देवा। 
गुरू पूजे सब देवन पूजे, गुरू सेवा सब सेवा।। 
गुरू ईष्ट गुरू मंत्र देवता, गुरू सकल उपचारा। 
गुरू मंत्र गुरू तंत्र गुरू हैं, गुरू सकल संसारा।। 
गुरू आवाहन ध्यान गुरू हैं, गुरू पंच विधि पुजा। 
गुरू पद हव्य कव्य गुरू पावक, सकल वेद गुरू दुजा।। 
गुरू होता गुरू याग महायशु, गुरू भागवत ईशा। 
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु सदाशिव, इंद्र वरुण दिग्धीशा।। 
बिनु गुरू जप तप दान व्यर्थ व्रत, तीरथ फ़ल नहिं दाता। 
"लक्ष्मीपति" नहिं सिध्द गुरू बिनु, वृथा जीव जग जाता।।

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