समस्त बनगाँव, संग समस्त मिथिला वासी कs हमर सादर प्रणाम।
हम जितमोहन झा, आय समस्त मिथिलांचल वासी के बीच परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी जी के सम्पूर्ण जीवनी, आर हुनकर रचित ग्रन्थ गीतावली के इ-प्रकाशन लेल उपस्थित छी।
हम निक जोका बुझैत छी, गोस्वामी जीक जीवनी आर हुनकर ग्रन्थ कs इ-प्रकाशित करब बहुत कठिन काज अछि। मुदा हमरा विश्वास अछि, यदि बाबा के कृपा भेल तें हम एहि मs जरूर सफल होयब।
गीतावली कs इंटरनेट पर प्रकाशित करबाक इच्छा ओना तें हमरा बहुत पहिने सs छले, मुदा किछ दिन पहिने हमरा "परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी समिति - जमशेदपुर" द्वारा सन 1969 ईo मs प्रकाशित, परमहंस लक्ष्मीनाथ रचित ग्रन्थ "गीतावली" हाथ लागल। जे पूर्ण रुपे फाटल अवस्था मs अछि। हम ओकरा पढ़बाक प्रयाश के रहल छी। बस अपने सभक आशीर्वाद चाही, ताकि हम इ कठिन काज कs पूरा के सकी।
बनगाँव ऑनलाइन वेबसाइट बनेबाक पाछा हमर उद्देश्य सब बनगाँव वासी कs इंटरनेट के माध्यम सs एक - दोसर संग जोरबाक अछि। हमर इच्छा अछि, बनगाँव ऑनलाइन एक निक समाचार पोटर्ल बने। ताकि गाम सs दूर रहैय बला हर बनगाँव वासी तक गाम के सभ समाचार पहुँचैत रहे।
चुकी हम खुद एखन गाम सs दूर मुंबई रही रहल छी, तें हमर इ प्रयाश एखन तुरंत संभव नै बुझा रहल अछि। हाँ, जहिया हम गाम मs रहे लागब तहिया एकरा पूरा करबाक प्रयाश करब। ताधरि आऊ सभ मिल बाबा लक्ष्मीनाथक गुणगान करी।
प्रेम सँ कहु जय बाबाजी
नोट : बाबा के भक्त सभ भाषा - भाषी के लोक छैन्ह, ताहि लेल हुनकर जीवनी आर विशिष्ट चमत्कार हम हिंदी मs लिखब।
संगे "परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी समिति - जमशेदपुर" द्वारा सन 1969 ईo मs प्रकाशित (गीतावली) के टैपिंग आर प्रिंटिंग मs बहुत रास अशुद्धि देखल गेल। जकरा मs हम कुनु परिवर्तन करब उचित नै बुझैत छी। एहि लेल क्षमा चाहब।
धन्यवाद।
हम जितमोहन झा, आय समस्त मिथिलांचल वासी के बीच परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी जी के सम्पूर्ण जीवनी, आर हुनकर रचित ग्रन्थ गीतावली के इ-प्रकाशन लेल उपस्थित छी।
हम निक जोका बुझैत छी, गोस्वामी जीक जीवनी आर हुनकर ग्रन्थ कs इ-प्रकाशित करब बहुत कठिन काज अछि। मुदा हमरा विश्वास अछि, यदि बाबा के कृपा भेल तें हम एहि मs जरूर सफल होयब।
गीतावली कs इंटरनेट पर प्रकाशित करबाक इच्छा ओना तें हमरा बहुत पहिने सs छले, मुदा किछ दिन पहिने हमरा "परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी समिति - जमशेदपुर" द्वारा सन 1969 ईo मs प्रकाशित, परमहंस लक्ष्मीनाथ रचित ग्रन्थ "गीतावली" हाथ लागल। जे पूर्ण रुपे फाटल अवस्था मs अछि। हम ओकरा पढ़बाक प्रयाश के रहल छी। बस अपने सभक आशीर्वाद चाही, ताकि हम इ कठिन काज कs पूरा के सकी।
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चुकी हम खुद एखन गाम सs दूर मुंबई रही रहल छी, तें हमर इ प्रयाश एखन तुरंत संभव नै बुझा रहल अछि। हाँ, जहिया हम गाम मs रहे लागब तहिया एकरा पूरा करबाक प्रयाश करब। ताधरि आऊ सभ मिल बाबा लक्ष्मीनाथक गुणगान करी।
प्रेम सँ कहु जय बाबाजी
नोट : बाबा के भक्त सभ भाषा - भाषी के लोक छैन्ह, ताहि लेल हुनकर जीवनी आर विशिष्ट चमत्कार हम हिंदी मs लिखब।
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