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सोमवार, 26 मई 2014

कोल (सूअर) द्वारा क्रानित (विशिष्ट चमत्कार)

एक समय गोस्वामी जी पर्यटन करते हुए अपने दलबल के साथ मुसलमान की एक बस्ती बखितयारपुर पहुँचे। गरमी का समय था। स्वामी जी की आज्ञा हुर्इ कि स्नान-कीर्तन यहीं होना चाहिए। नित्य कर्म से निवृत हो कीर्तन प्रारम्भ किये। ढोलक पर थाप की आवाज सुन मूसलमोनों के कान खड़े हुए। युवक मुसलमानों ने आकर रोका। परन्तु कीर्तन बन्द नहीं हुआ। उन लोगों ने अलबल बकना, धूल उड़ाना आदि उपद्रव प्रारम्भ किया। स्वामी जी कुछ देर कीर्तन को रोककर समाधिस्थ हुए।

कुछ ही क्षण बाद झुण्ड के झुण्ड कोलों (सूअरों) ने गाँव में प्रवेश कर उपद्रव मचाने लगा। घर-द्वार, भोजन सामग्री आदि नष्ट होने लगे। ज्यों-ज्यों निवारण की चेष्टा होती, त्यों-त्यों कोलों की संख्या और उपद्रव बढ़ते जाते। उपद्रवी युवकों का ध्यान गया तो वे ग्राम रक्षार्थ दौड़े। उपद्रवियों ने अपनी काली करतूत लोगों को सुनार्इ। सुनते ही कुछ वयोवृद्ध मुसलमानों ने स्वामी जी से क्षमा प्रार्थना की और कहा- ''कुछ उदण्डों ने आपके साथ जो अशिष्टता की है, उसके लिए हमलोग क्षमा प्रार्थी हैं। स्वामी जी ने कहा- ''जब तक कीर्तन पुन: प्रारम्भ नहीं होगा तब तक इस उपद्रव को कोर्इ रोक नहीं सकता। वृद्ध मुसलमानों ने नम्रतापूर्वक कहा- ''निर्विरोध आप अपना कीर्तन प्रारम्भ करें। इधर कीर्तन प्रारम्भ हुआ उधर धीरे-धीरे कोलों का उपद्रव ग्राम में समाप्त होले लगा।

इस प्रकार की क्रानित गोñ तुलसीदास ने दिल्ली बादशाह के यहाँ बन्दरों से करवायी थी।

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