"बाल - विनोद"
कौशल्या की गोदी में, राम करे रोदना ॥ध्रुव॥
मुखहुं न बोलत, अंगुल से वतावत, चाँद माँगत खेलना ॥अन्तरा॥
पिये नहिं दूध दोउ कर मीजत, सुसुकि सजल नयना ।
कसमसात खसि पड़े पुहुमि पर, भूमि करे शयना ॥१॥
लोटत पोटत करि लरिकाई छेकत दोउ चरणा ।
उठत चलत पुनि करत लटारम; घुरि घुसर वदना ॥२॥
हीरा मोती लाल जवाहर सोने के सोहना ।
लेत नहीं कछु दूरि दुरावत, तोड़ी तोड़ी गहना ॥३॥
दशरथ जी को खबरि भये तब, आय चूमे वदना ।
"लक्ष्मीपति" दरपन में चन्दा, देखि भये मगना ॥४॥
कौशल्या की गोदी में, राम करे रोदना ॥ध्रुव॥
मुखहुं न बोलत, अंगुल से वतावत, चाँद माँगत खेलना ॥अन्तरा॥
पिये नहिं दूध दोउ कर मीजत, सुसुकि सजल नयना ।
कसमसात खसि पड़े पुहुमि पर, भूमि करे शयना ॥१॥
लोटत पोटत करि लरिकाई छेकत दोउ चरणा ।
उठत चलत पुनि करत लटारम; घुरि घुसर वदना ॥२॥
हीरा मोती लाल जवाहर सोने के सोहना ।
लेत नहीं कछु दूरि दुरावत, तोड़ी तोड़ी गहना ॥३॥
दशरथ जी को खबरि भये तब, आय चूमे वदना ।
"लक्ष्मीपति" दरपन में चन्दा, देखि भये मगना ॥४॥
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