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बुधवार, 28 मई 2014

विद्यापति गीत - सासु जरातुरि भेली

सासु जरातुरि भेली, ननन्दि अछलि सेहो सासुर गेली !
तैसन न देखिअ कोई, रयनि जगाए सम्भासन होई !१!

एहि पुर एहे बेबहारे, काहुक केओ नहि करए पुछारे !
मोरि पिअतमकाँ कहबा, हमे एकसरि धनि कत दिन रहबा !२!

पथिक, कहब मोर कन्ता, हम सनि रमनि न तेज रसमन्ता !
भनइ विद्यापति गाबे, भमि-भमि विरहिनि पथुक बुझाबे !३!

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